शुक्राणुओं की कमी का मतलब होता है सेक्स के दौरान पुरुषों के लिंग से निकलने वाले वीर्य में सामान्य ये कम शुक्राणुओं का निकलना । शुक्राणुओं में कमी होने को ओलगिसोपरमिया भी कहा जाता है। वीर्य में शुक्राणुओं का पूरी तरह से खत्म होना एजुस्परमिया कहलाता है। शुक्राणुओं की कमी के कारण आपके द्वारा अपनी यौन साझेदार को गर्भधारण करा पाने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसके बावजूद कई पुरुष जिनमें कम शुक्राणु पाए जाते है, वे बच्चा पैदा करने में सक्षम हो पाते है।
शुक्राणु कम होने के लक्षण: शुक्राणु की कमी के सबसे मुख्य लक्षण यह है कि वह व्यक्ति बच्चे पैदा करने में असमर्थ होता है। इस समस्या के कोई अन्य स्पष्ट या संकेत दिखाई नहीं देते है। कुछ मामलों में हार्मोन में वंशानुगत अंसतुलन, वृषण की बढी हुई नसें और ऐसी स्थितियां, यौन गतिविधियों की समस्याएं, चेहरे या शरीर के बालो का कम होना, करोमोसोम अथवा हार्मोन की असामान्यता के अन्य लक्षण या जिससे शुक्राणुओं के मार्ग में रुकावट आती है शुक्राणु की कमी के लक्षणों में शामिल हो सकते है।
इन स्थितियों में डाक्टर को दिखाना आवश्यक है
अगर आप एक वर्ष तक नियमित और बिना कंडोम के संभोग करने के बाद भी अपने यौन साझेदार को गर्भधारण करवा पाने में असमर्थ है तो अपने डाक्टर से सम्पर्क करें।
शुक्राणुओं की कमी के कारण
शुक्राणुओं का उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए सामान्य रुप के साथ-साथ हाइपोथैलेमस और पटियूटरी ग्रन्थियां (मस्तिष्क में उपस्थित अंग, जो शुक्राणु उत्पादन करते है) को सामान्य रुप से कार्य करने की आवश्यकता होती है। वषण में उत्पन्न होने के बाद शुक्राणु पतली टयूबस में तब तक रहते हैं, जब तक वीर्य के साथ मिलकर लिंग से बाहर नहीं निकल जाते। इनमें से किसी भी अंग के ठीक से काम न करने के कारण शुक्राणु उत्पादन में कमी आ सकती है। अक्सर शुक्राणुओं की कमी के कारण का कभी पता नहीं चल पाता है।
A. शुक्राणुओं की कमी के मेडीकल कारण
कई स्वास्थ्य समस्याओं और मेडीकल उपचार के कारण शुक्राणुओं में कमी आ सकती है इनमें कुछ निम्नलिखित है।
1. वैरीकोसेल – वृषण से निकलने वाली नसों की सूजन को वैरीकोसेल कहते है। यह पुरुषों के पिता न बन पाने का एक आम कारण है।
2. संक्रमण – कुछ संक्रमण शुक्राणुओं के उत्पादन और उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करते है जैसे कुछ यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया, गोनोरिया) आदि और 3. मुत्रपथ में होने वाले अन्य संक्रमण
4. स्खलन समस्याएं – यदि किसी व्यक्ति को स्खलन करने में समस्या है, तो उसके शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। शुक्राणुओं को नुकसान पहुँचाने वाले 5. एंटीबाडी – शुक्राणुरोघक एंटीबाडी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पन्न कोशिकाएं होती है जो शुक्राणुओं को शरीर के लिए हानिकारक समझकर उन्हे नष्ट करने का प्रयास करती है।
6. टयूमर – कैंसर और टयूमर (यानि टयूमर जिनमें कैंसर नहीं होता) अन्य ग्रन्थियों को प्रभावित करके पुरुषों के प्रजनन अंगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से नुकसान पहुँचा सकते है।
7. अनडिसेन्डिड वृषण – भ्रुण के विकास के दौरान एक या दोनों वृषण कभी कभी पेट से अंडकोष (थैली जिसमें आमतौर पर वृषण स्थित होते है) में जाने में असफल होते है।
8. दवाएं – टेस्टोस्टेरोन रिपलेसमैंट थैरेपी, कैंसर का उपचार (कीमोथैरेपी) कुछ अन्य दवाएं शुक्राणु उत्पादन को क्षीण कर सकती है और पुरुश प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।
B. शुक्राणुओं की कमी के प्रर्यावरण संबधी कारण
कुछ प्रर्यावरणीय तत्वों के आत्याघिक संपर्क में आने से शुक्राणुओं का उत्पादन या कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके मुख्य कारण है।
1. औद्योगिक रसायन भारी धातुओं के संपर्क में आना – लेड या अन्य भारी धातुओं के ज्यादा समय तक संपर्क में आनें से भी नर प्रजनन क्षमता को नुकसान हो सकता है।
2. एक्सरे – एक्सरे विकिरण शुक्राणु उत्पादन कम कर सकता है।
3. वृषण का ज्यादा गर्म होना– हाट टब का नियमित उपयोग करने से आपके शुक्राणुओं में अस्थाई रुप से कमी हो सकती है।
4. लंबे समय तक साईकिल चलाना – अधिक समय तक साईकिल चलाने से आपके वृषण ज्यादा गर्म हो जाते है। यह आपकी प्रजनन क्षमता को कम करने का एक और संभावित कारण है।
C. शुक्राणुओं की कमी के स्वास्थ्य और जीवनषैली संबधी कारण
स्वास्थ्य और जीवनषैली से जुडे कारण शुक्राणु की कमी के अन्य कारणों में शामिल है।
1. अवैध नशीली दवाओं का प्रयोग– कोकीन या गांजा जैसे नशीले प्रदार्थों के सेवन से आपके शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
2. शराब का सेवन – शराब पीने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है और शुक्राणु उत्पादन में कमी आ सकती है।
3. ध्रुमपान– अन्य व्यक्तियों की तुलना में धु्रमपान करने वाले पुरुशों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है।
4. तनाव – लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण शुक्राणु पैदा करने वाले कुछ आवष्यक हार्मोन अंसतुलित हो सकते है।
5. वजन – मोटापे के कारण हार्मोनस में बदलाव हो सकते है, जिसके परिणामस्वरुप पुरुषों की प्रजनन क्षमता कमजोर हो सकती है।
शुक्राणु की कमी से बचाव
शुक्राणुओं की कमी होने को निम्न कारको द्वारा रोका जा सकता है, अतः इनसे दूर रहें।
1. धुम्रपान न करें।
2. अल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें या बिल्कुल बंद कर दें।
3. ड्रग्स से दूर रहें।
4. अपने चिकित्सक से उन दवाओं के बारे में बात करें, जो शुक्राणुओं के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
5. गर्मी से बचें।
6. तनाव से दूर रहे।
7. कीटनाशको, भारी वस्तुओं और अन्य विषाक्त प्रदार्थो के संपर्क में आने से बचें।
शुक्राणु की कमी से होने वाली जटिलताएं
शुक्राणुओं की कमी से होने वाली नपुंसकता आपके और आपके साथी दोनों के लिए तनावपूर्ण हो सकती है। जटिलताओं में शामिल हो सकते हैं। पिता न बन सकने के कारण होने वाला तनाव, रिस्तो में तनाव और मेहगा उपचार जैसे इनविरोटोफरटीलाइजशन ( महिलाओं को कृत्रिम रुप से गर्भधारण कराने वाली तकनीक)।
शुक्राणु बढाने की दवा
शुक्राणु बढ़ाने के लिए SS Powder और Gadar Forte Capsule आप के लिए सबसे कामयाब दवाई है और से पूरी तरह से आयर्वेदिक है जिस इ इनके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है इनके सेवन से कुछ ही महीनो में निल शुक्राणु वाले मरीजों के भी शुक्राणु 70-80% हो जाते है।
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धन्यवाद